भास्कर अखबारके एकटा कटिंग सोशल साइट पर अभरल, हम मैथिलीभाषी छी, भाष्करके ओ समाद बिहारी हिन्दीमे छपल छल आओर बिहारी हिन्दी तँ हमरा ठीक सँ नञि अ...
भास्कर अखबारके एकटा कटिंग सोशल साइट पर अभरल, हम मैथिलीभाषी छी, भाष्करके ओ समाद बिहारी हिन्दीमे छपल छल आओर बिहारी हिन्दी तँ हमरा ठीक सँ नञि अबैत अछि, तै ठीक सँ नहि बुझि सकलहुँ। तथापि जतेक बुझि सकलहुँ ओ बड़ी डराओन छै।
ओ समाद काजक छल तै ओहि पर इ समाद सेहो बना रहल छी। ओहि समादक हेडलाइन छल जे आब घर बैसल सेहो राशनकार्ड लेल आवेदन कयल जा सकैछ, यहन बात कोनो एसडीओ कहि रहल छै।
शुरूमे तँ जेना आदत छै हिन्दी सम्राज्यवादी मीडियाके जे बिहारी सत्ताके गुणगान करत तँ ठीक सैह कयने अछि जे आब दलालके चक्करमे नञि पड़य पड़त। मुदा ओ भाष्कर एकदिन नञि लिखलक जे कोन बिहारी दलाल अछि जे राशनकार्ड लेल मैथिलके शोषण करैत अछि।
भास्कर फेर लिखैत अछि कोनो सदर एसडीएम अश्वनी कुमार सँ फोन पर गप भेल रहनि आओर ओ जनओलनि जे आब राशनकार्ड लेल कोनो सीएससी सेन्टर अथवा साइबर सेन्टर सँ ऑनलाइन अप्लाई कयल जा सकैछ। पता नहि भाष्कर कोन नवका रजिस्टर्ड दलालके बात कय रहल छथि जखनि आवेदन ऑनलाइन करवाक छै तँ मोबाइल सँ किएक नञि कयल जा सकैछ? सेन्टर गेनाइ किएक जरूरी छै से भाष्कर नहि लिखलक।
राशनकार्ड अप्लाई करय लेल किसभ चाही
1. आधार
2. आवासीय प्रमाण पत्र
3. एकटा मोबाइल नम्बर
4. पासपोर्ट साइज फोटो
जेना पहिले लिखने रही सम्राज्यवादी हिन्दी मीडिया भाष्कर हेडिंगमे लिखैत अछि एसडीओके मॉर्फद समाद छापति अछि बादमे कोनो एसडीएम अश्वनी कुमारके चर्चा करैत अछि आओर अन्तमे तँ कोनो एडीएमके नाओ सँ मैथिलके धमकाबैत अछि जे आवेदनमे जुठ पकड़ायल तँ आवेदन कैंसिल कय देल जायत।
पहिल निष्कर्ष तँ इ निकलल जे साम्रज्यवादी हिन्दी मीडिया आँखि मुइन समाद लिखैत अछि मुदा ओहि समादमे बिहारी सत्ताके गुणगान आओर मैथिल साधारण जनताके धमकेनाइ नञि बिसरैत अछि।
दोसर निष्कर्ष इ छै जे जनिका लग पक्का घर अथवा गाड़ी हेतय ओकर राशनकार्ड लेल आवेदन स्वीकार नञि कयल जायत।
अहाँ एसडीओ छी तँ, एसडीएम छी तँ, अथवा एडीएम छी तँ एकटा बात कहु तँ की पक्का घर अथवा गाड़ी सँ की अनाज उपजैत छै? एखनि अहि कोरोना कालमे कतेक लोकके चाकरी छूटलय, लॉकडाउन लागल रहैत छै गाड़ी, घोड़ा बन्द रहैत छै ओहि समयमे यहन नियम देखा राशनकार्ड नञि बनेबाक जे अहाँ कानून देखा रहल छिये से मैथिलक शोषण छै। राशनकार्डके तँ अनेको कैटोगरी होयत छै फेर आमदनीके आधार पर राशनकार्ड नञि बना इ तुगलकी आधार पर राशनकार्ड किएक बनायल जा रहल छै?
इ नियम जकर होइ केन्द्र सरकारक, मगही सरकारक होइ अथवा मगही सरकार द्वारा नियुक्त कोनो मगही अधकारीके हुए, कोन फर्क पड़ैत छै। इ शोषण करय वला नियम मात्र वास्तविक लाभकारी मैथिलके राशन सँ वञ्चित करत सङ्गहि सङ्गहि मगही अधिकारीके जेबी सेहो गर्म करत भ्रस्टाचारके रूपमे।
इ बात सेहो सत्य छै जे मगधके एकटा जिला पटना सँ नियुक्त अधिकारी लोकिनके दरबारमे मैथिल माथा पटकि कय मरि जाय तैयो कोनो सुनवाई नञि होयत छै, मुदा मैथिल जागय एकजुट भ' आन्दोलन करय तँ निश्चय शोषण करय वला मगही अधिकारीके मिथिला सँ पड़ाय पड़त।
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