की कुलपति मात्र अपन अहंकारमे मैथिल विद्यार्थी सङ्ग दुर्व्यवहार कय रहल छथि?
पैघ सवाल छै जे यहन सवाल किएक उठल आओर दोसर श्रेणीके नागरिक सँ की मतलब?
आबू अहाँके विस्तार सँ बताबी, विभिन्न हिन्दी साम्राज्यवादी मीडिया सँ एकपक्षीय समाद तँ सुननेहे, पढ़ने होयब। जे मिथिला स्टूडेन्ट यूनियन सँ सम्बन्ध राखय वला विद्यार्थी लोकिन हल्ला-चिल्ला कयलक।
तँ आब मैथिलीमे सेहो समाद पढ़बाक-बुझबाक आवश्यकता छै। की छात्र लोकिन अपन समस्या लय कय कुलपति सँ भेंट नहि कय सकैत अछि? जँ किओ मैथिल विद्यार्थी अमैथिल कुलपति एतेक बड़का लाटसाहब बनि जायत छथि जे ओ अपन मोटर कार सँ नीचा पैर नहि राखय छथि। अपन सुरक्षाकर्मी द्वारा पहिले विद्यार्थी लोकिन सङ्ग धक्कामुक्की करबैत छथि फेर थानामे शिकायत!
कुलपति महोदय की आहूं मानि लयने छी जे मिथिलाके लोक मगधके गुलाम छै? कोनो अमैथिल कुलपति एतेक बड़का लोक होयत छथि की कोनो मैथिल विद्यार्थी लोकिन अहाँ सँ भेंट तक नहि कय सकैत अछि। कुलपति महोदय बात इ छै जे अहाँके मात्र अपन नोकरी बजेबाक अछि। नहिये अहाँके मिथिला सँ कोनो मतलब अछि आओर नहिये मैथिल सँ कोनो अपनत्व।
जखनि अहाँ मैथिल विद्यार्थीके समस्या सुनबाक क्षमता नहि राखैत छी तँ समाधान कोना करबय? अहाँ कहैत छिये जे मैथिल विद्यार्थीके अपन समस्या , कॉलेजके प्रिंसिपल द्वारा चाही, किएक मैथिल विद्यार्थी अहाँके समक्ष सोझा अपन समस्या लय कय आओत तँ अहाँके बड़ी दिक्कत भ' जायत अछि।
कुलपति महोदय हमसभ गुलाम नहि छी। स्वतन्त्र भारतके स्वतन्त्र नागरिक छी। हमरो सभसङ्ग सम्मानक व्यवहार करय पड़त।
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