Nature in Mithila
आजुक युगमे जब हम सभ महाजनी प्रगतिक बाट पर अग्रसर छी, तँ ई जरूरी अछि जे हम अपन प्रकृति आ पर्यावरणक महत्वकेँ नहि बिसरि जाऊ। विज्ञान आ प्रौद्योगिकीक अद्भुत प्रगति संग-संग, हम देखि रहल छी जे प्रकृति आ पर्यावरणक संतुलन पर भारी दबाव पड़ि रहल अछि। चाहे वायु प्रदूषण होइ, जल प्रदूषण होइ, या फेर वन्य जीवनक ह्रास, सभ किछु हमसभक अनियंत्रित विकासक परिणाम छी।
मिथिला प्रान्त सेहो एहि समस्यासँ अछूत नहि अछि। हमर माटि-पानि, हमर हरियाली, हमरा सभक धरोहर छी। मुदा, जखन हम विकासक नाम पर जंगल काटि रहल छी, नदीक धारामे कचरा फेकि रहल छी आ रासायनिक पदार्थक प्रयोग क' रहल छी, तखन हम भविष्यमे आबय बला खतरा सँ डरा रहल छी। एहि स्थितिमे एकटा जागरूकता अभियानक आवश्यकता अछि।हम सभक कर्तव्य अछि जे पर्यावरण संरक्षणक दिशा में ठोस कदम उठाबी।
पहिल कदम होइ- वृक्षारोपण। प्रत्येक व्यक्ति अगर सालमे कम सँ कम एकटा गाछ लगा दय, तँ हमरा क्षेत्रक हरियाली पुनः लौटि सकैत अछि। दोसर कदम होइ- कचरा व्यवस्थापन। हम सभकेँ अपन घर आ समाजमे कचरा सँ निपटबाक सही तरीका अपनाबऽ पड़त। रासायनिक पदार्थक प्रयोग केँ कम क' क', जैविक खेती आ प्राकृतिक संसाधनक उपयोग बढ़ेबाक दिशा मे प्रयास होमय।
आर्थिक विकास आ पर्यावरणक संरक्षणक बीच संतुलन बनाबऽ जरूरी अछि। विकासक बाट पर चलैत हम सभकेँ ई बुझबाक अछि जे बिना स्वस्थ पर्यावरणक, कोनो विकास दीर्घकालिक नहि भ' सकैत अछि।आउ, हम सभ एकजुट भ' क' अपन माटि-पानि, अपन धरोहरक संरक्षण करबाक प्रतिज्ञा ली।
एहि दिशामे प्रत्त्येक छोट-छीन प्रयास सेहो महत्वपूर्ण भ' सकैत अछि। प्रकृति आ पर्यावरणक संरक्षण, मात्र एकटा विकल्प नहि, बल्कि एकटा आवश्यक जिम्मेदारी अछि, जेकर निर्वाह हम सभकेँ मिलजुलि क' कर' पड़त।-
सम्पादक
टिपण्णी